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हाईकोर्ट आर्डर निष्कर्ष: यूपी में हजारों परिषदीय शिक्षकों के मनपसंद जिले में ट्रांसफर का सपना टूटा, बीच सत्र में ट्रांसफर पर मा० उच्च न्यायालय ने लगाई रोक, आर्डर देखें
अंतर्जनपदीय स्थानांतरण प्रकरण में मा० उच्च न्यायालय के निर्णय का मुख्य भाग देखें:-
हजारों शिक्षकों के मनपसंद जिले में ट्रांसफर का सपना टूटा, बीच सत्र में ट्रांसफर पर मा० उच्च न्यायालय ने लगाई रोक
◆ बीच सत्र में ट्रांसफर करने पर मा० न्यायालय ने लगाई रोक
◆ अविवाहित शिक्षिकाओं को मिल सकेगा शादी के बाद ट्रांसफर का दूसरा मौका
◆ विवाहित शिक्षिकाओं को सिर्फ एक बार ही ट्रांसफर का मिलेगा मौका
◆ असाध्य रोग की स्थिति में महिला/पुरुष शिक्षक को मिल सकेगा ट्रांसफर का दूसरा मौका
◆ दिव्यांग महिला शिक्षिकाओं को ट्रांसफर का मिल सकता है ट्रांसफर का दूसरा मौका
◆ दिव्यांग पुरुष शिक्षकों को ट्रांसफर का दूसरा मौका देने से कोर्ट का इंकार
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों के अंतर जिला तबादलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा सत्र के बीच में कोई तबादला नहीं किया जाएगा।
सरकार को इसका पालन करते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि नियुक्ति नियम है और तबादला अपवाद। सरकार को शर्ते लगाने का अधिकार है। किसी भी अध्यापक को तबादले का अधिकार नहीं है।
दिव्या गोस्वामी सहित दर्जनों याचिकाओं पर 44 पृष्ठ के विस्तृत फैसले में न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कहा कि प्रत्येक अध्यापक को अंतर जिला तबादला के लिए एक ही अवसर दिया जाएगा।
केवल उस अध्यापिका को दूसरा अवसर मिलेगा जिसने नियुक्ति के बाद शादी किया है। उन अध्यापकों को भी तबादला का दूसरा अवसर मिलेगा, जो गंभीर रूप से बीमार होंगे और उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत होगी।
शारीरिक रूप से अक्षम अध्यापक को भी एक ही अवसर दिया जाएगा।
सेना या अर्धसैनिक बलों में तैनात होने वालों के माता-पिता के सहारे के लिए उनकी अध्यापक पत्नियों को दूसरा अवसर मिलेगा
अंतर्जनपदीय स्थानांतरण प्रकरण में मा० उच्च न्यायालय के निर्णय का मुख्य भाग देखें:-
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दिव्या गोस्वामी सहित दर्जनों याचिकाओं पर 44 पृष्ठ के विस्तृत फैसले में न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कहा कि प्रत्येक अध्यापक को अंतर जिला तबादला के लिए एक ही अवसर दिया जाएगा केवल उस अध्यापिका दूसरा अवसर मिलेगा जिसने नियुक्ति के बाद शादी की है।
वहीं, शादीशुदा अध्यापिकाओं को एक बार ही तबादले का विकल्प मिलेगा कोर्ट ने कहा कि उन अध्यापकों को भी तबादला का दूसरा अवसर मिलेगा, जो गंभीर रूप से बीमार होंगे और उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत होगी।
कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के समय अध्यापकों को पांच साल व अध्यापिकाओं को दो साल पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में रहना अनिवार्य है इस अवधि में किसी का तबादला नहीं किया जा सकेगा विशेष स्थिति में ही केवल अध्यापिकाओं को छूट मिलेगी ।
सरकार की नीति वैध-
कोर्ट ने दे दिसंबर 2019 के शासनादेश के खंड-2 (1) (ए) (ब्री ) 16 व 17 को विरोधाभाषी मानते हुए शून्य करार दिया है। सेवाकाल में अध्यापकों को अंतर जिला तबादलों का एक अवसर देने की सरकारी नीति को वैध करार दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अनिवार्य शिक्षा कानून के उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार को शर्ते लगाने का पूरा अधिकार है। यह सरकार का नीति का विषय है।
कोर्ट के इस फैसले से अंतर जिला तबादलों की स्थिति साफ हो गई
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